छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास में खनिज संसाधनों की भूमिका
(खनिज संसाधन के जरिये राज्य के आर्थिक विकास में सुधार)
तुलाराम ठाकुर,
शोध छात्र, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
Abstract
किसी भी राज्य के विकास की गति एवं प्रकृति स्पष्टतः उस राज्य के संसाधनों की मात्रा पर निर्भर करता है। यह संसाधन विकास की सीमा ही निर्धारित नहीं करते अपितु यह भी निर्धारित करते हंै कि विकास किन दशाओं में किया जाए।
छत्तीसगढ़ राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है जिसमें खनिज एक प्रमुख संसाधन है। इतनी विशाल सम्पदा उपलब्ध होनें के बाद भी प्रदेश आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं हैं। इस आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए तीव्र औद्योगिकीकरण ही एक मात्र विकल्प हैं क्योंकि खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना से अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकेगा। प्रदेश के विकास हेतु सर्वोच्च प्राथमिकताएं सुदूर आदिवासी क्षेत्र हंै और लगभग सभी प्रमुख खनिज इन्हीं क्षेत्रों में पाये जाते हंै तात्पर्य यह है कि इस सुदूर क्षेत्रों में उपलब्ध खनिजों का यदि उचित दोहन किया जाये तो उनका विकास स्वतः ही होगा। रोजगार के नये अवसर भी उपलब्ध होंगे तथा क्षेत्र का सामरिक आर्थिक विकास होगा।
प्रस्तावना
खनिज संसाधन छत्तीसगढ़ राज्य की पृथक पहचान है। राज्य में खनिजों की बहुलता एवं विविधता के साथ बैलाडीला का विश्वविख्यात लौह-भण्डार राज्य का धरोहर है। प्रदेश में कोयला, बाॅक्साइट, चूनापत्थर एवं डोलोमाइट का बाहुल्य है तथा सामरिक महत्व में टिन अयस्क का पूरे राष्ट्र में छत्तीसगढ़ एकमात्र उत्पादक राज्य है। 2011-12 में सम्पूर्ण देश में लगभग 15957.02 (13.31 प्रतिशत) करोड़ रूपए मूल्य के खनिज उत्पादन के साथ छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे स्थान पर था। वित्तीय वर्ष 2014-15 में लगभग 19566 करोड़ रू. मूल्य के खनिजों का उत्पादन कर राष्ट्र के खनिज उत्पादक राज्यों में तीसरे स्थान पर हैं। यहाँ देश की कुल कोयला का 17 प्रतिशत, लोहा अयस्क का 18.67 प्रतिशत भण्डार तथा टिन अयस्क का 37.69 प्रतिशत भण्डार राज्य में उपलब्ध हैं। देश के लौह अयस्क के उत्पादन में छत्तीसगढ़ की सहभागीता 14.02 प्रतिशत है। लौह अयस्क के उत्पादक राज्यों में छत्तीसगढ़ द्वितीय स्थान पर है अन्य खनिजों में क्वार्टजाइट के उत्पादन में प्रथम स्थान, टिन के उत्पादन में प्रथम स्थान, डोलोमाइट में प्रथम स्थान, बाॅक्साइट में पंचम स्थान एवं चूनापत्थर के उत्पादन में सातवें स्थान पर है।
छत्तीसगढ़ शासन की खनिज नीति की घोषणा 1 नवम्बर 2001 को किया गया जिसमें कहा गया है, छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना का मूल उद्देश्य इसके विशिष्ट ऐतिहासिक एवं सामाजिक धरोहर का सम्पोषण तथा बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदाओं का समुचित दोहन करना है। राज्य का 44 प्रतिशत से अधिक भाग वनों से आच्छादित है तथा अधिकांश खनिज पदार्थ इन्हीं वन प्रान्त एवं पहाड़ियों में पाये जाते हंै। यदि इस नवजात प्रदेश में उपलब्ध प्राकृतिक सम्पदा, खनिज सम्पदा का दोहन कठिन वन एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियमों के कारण नहीं हो पाएगा तो इस नवीन राज्य की स्थापना का मूल उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पाएगा।
अतः ऐसी विषम परिस्थितियों से निजात पाने तथा प्रदेश की प्राकृतिक सम्पदा के विकास में यहाँ के पिछड़े वर्ग को समुचित भागीदारी एवं लाभ दिलाने हेतु नई खनिज नीति तैयार की गई है।
अध्ययन के उद्देश्य
भारत के सन्दर्भ में यह बात कही जाती है कि प्रकृति ने उदारतापूर्वक खनिज संसाधनों का उपहार दिया है, परन्तु भारतवासी इनसे समुचित लाभ लेने में असमर्थ रहे हैं। यहीं बात छत्तीसगढ़ राज्य पर भी लागू होता है। खनिज संपदा, प्राकृतिक संसाधनों, विस्तृत उपजाऊ भूमि, जीवन रेखा महानदी, वन सम्पदा आदि के विद्यमान रहते हुए भी आज यहां का आर्थिक विकास निम्न है, विकास की प्रक्रियाॅ तेज नहीं हुई है। तथा स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि क्या प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए खनिज पदार्थों के समुचित विदोहन की आवश्यकता है, इस सन्दर्भ में अध्ययन हेतु निम्नांकित उद्देश्य है:-
(1) छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास में खनिज संसाधनों की भूमिका का अध्ययन करना।
(2) छत्तीसगढ़ के राज्य सकल घरेलू उत्पाद में खनिज संसाधनों के योगदान का अध्ययन करना।
शोध पद्धति
(अ) आँकड़ों का संग्रहण -
(ब) आँकड़ों का विश्लेषण -
(अ) आँकड़ांे का संग्रहण - प्रस्तुत अध्ययन मुख्य रूप से द्वितीयक समंकों पर आधारित है। द्वितीयक समंकों का संकलन संचालनालय भौमिकी तथा खनिजकर्म छत्तीसगढ़ शासन रायपुर, भारतीय खान ब्यूरो नागपुर द्वारा प्रकाशित वार्षिक प्रतिवेदनों एवं सम्बंधित शोध साहित्यों से संकलित किया गया है।
(ब) आँकड़ों का विश्लेषण - प्रस्तुत शोध के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आवश्यकतानुसार सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया गया है जिसमें -
(1)संयुक्त वृद्धि दर - प्रमुख खनिजों के उत्पादन की प्रवृत्ति का अध्ययन करने के लिए संयुक्त वृद्धि दर ज्ञात किया जाता है इसका सूत्र इस प्रकार है -
जहाँ पर क्षेत्रफल, उत्पादन / उत्पादकता
स्थिरांक
संयुक्त वृद्धि दर प्रतिशत में
समय
(2) विचरण गुणांक - अध्ययन अवधि में चयनित खनिजों के उत्पादन में हुए परिवर्तनशीलता को जानने के लिये विचरण गुणांक ज्ञात किया जाता हैं। इसका सूत्र इस प्रकार है:-
यहाँ पर विचरण गुणांक प्रतिशत में
प्रमाप विचरण
समानतर माध्य
मुख्य खनिजों का वार्षिक उत्पादन -
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद राज्य सरकार मुख्य रूप से निम्न खनिज पदार्थांे का उत्पादन (उत्खनन) कर रहा है। छत्तीसगढ़ में मुख्य खनिजों का वार्षिक उत्पादन दिया गया है -
तालिका - 01- मुख्य खनिजों का वार्षिक उत्पादन
मुख्य खनिज 2005-06 2006-07 2007-08 2008-09 2009-10 2005-06 के आधार पर वृद्धि प्रतिशत गतवर्ष की तुलना में वृद्धि प्रतिशत
01 कोयला 763.58 832.41 901.72 1109.13 1109.51 43.30 0.034
02 लौह अयस्क 260.84 287.31 309.97 300.93 264.64 1.45 -12.059
03 बाॅक्साइट 12.32 15.93 17.94 16.68 16.87 36.93 1.14
04 डोलोमाइट 11.09 11.20 12.95 13.41 12.04 8.56 -10.21
05 चूना पत्थर 150.88 149.72 141.72 153.18 165.07 9.40 7.76
स्रोत: लघु शोध प्रबंध 2011-12 छत्तीसगढ़ में खनिज पदार्थों की उत्पादन की प्रवृत्तियाँ-एक आर्थिक अध्ययन पृष्ठ क्र. 99
उपरोक्त तालिका एवं रेखाचित्र से स्पष्ट है कि वर्ष 2005-06 के आधार पर वृद्धि दर में सभी मुख्य खनिजों में वृद्धि हुई है, परन्तु गतवर्ष 2008-09 की तुलना में वृद्धि प्रतिशत में वर्ष 2009-10 में लौह अयस्क में 12.059 प्रतिशत और वर्ष 2009-10 में ही डोलोमाइट में 10.21 प्रतिशत की कमी दर्ज किया गया है। वर्ष 2005-06 की अपेक्षा 2006-07 और 2007-08 में चूना पत्थर के उत्खनन में कमी हुई है इस प्रकार कुछ वर्षांे को छोड़ कर प्रायः सभी मुख्य खनिजों में वृद्धि हुई है। इसी प्रकार मुख्य खनिजों से प्राप्त राजस्व को तालिका के माध्यम से समझ सकते हैं।
मुख्य खनिजों से प्राप्त राजस्व (करोड़ रूपयों में) दिया गया है-छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को मुख्य खनिजों से प्राप्त राजस्व (करोड़ रूपये में दिया गया है कोयला से वर्ष 2005-06 में प्राप्त राजस्व दर क्रमशः 587.51, वर्ष 2006-07 में 639.58, वर्ष 2007-08 में 815.21, वर्ष 2008-09 में 999.83, वर्ष 2009-10 में 1077.31 करोड़ रूपये राजस्व प्राप्त हुआ है। वर्ष 2005-06 के आधार पर कोयला का वृद्धि प्रतिशत 83.37 प्रतिशत है, कोयला तथा अन्य खनिजों से प्राप्त राजस्व तथा गत वर्ष की तुलना में कौन-सी खनिज राजस्व में कितनी वृद्धि हुई है, निम्न तालिका के माध्यम से समझ सकते हैं -
तालिका - 02- मुख्य खनिजों से प्राप्त राजस्व करोड़ रूपये में
मुख्य खनिज 2005-06 2006-07 2007-08 2008-09 2009-10 2005-06 के आधार पर वृद्धि प्रतिशत गतवर्ष की तुलना में वृद्धि प्रतिशत
01 कोयला 587.51 639.58 815.21 999.83 1077.31 83.37 7.75
02 लौह अयस्क 32.42 47.72 52.81 61.20 358.98 1007.28 486.57
03 बाॅक्साइट 11.88 19.71 17.54 17.72 15.40 29.63 -13.09
04 डोलोमाइट 5.16 5.09 6.44 7.32 8.68 68.22 18.57
05 चूनापत्थर 68.79 70.76 71.34 67.37 90.93 32.18 34.97
स्रोत: लघु शोध प्रबंध 2011-12 छत्तीसगढ़ में खनिज पदार्थों की उत्पादन की प्रवृत्तियाँ-एक आर्थिक अध्ययन पृष्ठ क्र. 100
उपर्युक्त आँकड़ों एवं रेखाचित्र के विश्लेषण से हमें ज्ञात होता है, कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को मुख्य खनिजों से प्राप्त होने वाली राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्ष 2009-10 में लौह अयस्क में सर्वाधिक 1007.28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं कोयला से प्राप्त राजस्व में 83.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दो वर्ष क्रमशः 2008-09 में चूनापत्थर और 2009-10 में बाॅक्साइट से प्राप्त राजस्व में कमी हुई है। वर्ष 2009-10 में बाॅक्साइट से प्राप्त राजस्व गतवर्ष की तुलना में 13.09 प्रतिशत कम हुई है। इसके माध्यम से यह भी ज्ञात होता है कि अगर खनिज राजस्व में वृद्धि हो रहा है तो निश्चित तौर पर खनिज पदार्थांे (संसाधनो) का उत्खनन अधिकाधिक किया जा रहा है, और यह प्रमाणित करता है कि आर्थिक खनिज पदार्थों से प्राप्त होने वाला आय छत्तीसगढ़ राज्य के आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है।
राज्य सकल घरेलू उत्पाद में खनिज संसाधनों का योगदान -
छत्तीसगढ़ राज्य की धरती औद्योगिक खनिजों से परिपूर्ण है। इन खनिजों की गुणवत्ता तथा इनके भण्डार उद्यमियों को राज्य में उद्योंग लगाने के लिए आकर्षित करते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 27 प्रतिशत राजस्व खनिजों के उचित दोहन से खनिज राजस्व के रूप में प्राप्त होता है। वर्ष 2012-13 में 16599.59 करोड़ रूपये मूल्य के खनिजों का उत्पादन हुआ था। वित्तीय वर्ष 2013-14 में लगभग 19566 करोड़ रू. मूल्य के खनिजों का उत्पादन कर राष्ट्र के खनिज उत्पादक राज्यों में तीसरे स्थान पर रहा।
छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास में खनिज संसाधनों की भूमिका -
कम्पनी अधिनियम, 1956 के तहत् सी.एम.डी.सी. का गठन 7 जून 2001 को किया गया। छत्तीसगढ़ मिनरल डेव्लपमेंट कार्पोंरेशन का प्रमुख कार्य मुख्य खनिजों के खनिपट्््््््टे प्राप्त करके खनिजों का उत्खनन, विकास, उचित दोहन तथा विक्रय करके लाभ प्राप्त करना और राज्य के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में लोक कल्याणकारी कार्य करना है। बस्तर जिला एवं दक्षिण बस्तर में अनुसूचित जनजाति समुदाय के परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने केे उद्धेश्य से उनके द्वारा संग्रहित किये गए टिन अयस्क को विगत कई वर्षों से सी.एम.डी. सी. द्वारा स्थापित सहकारी समितियों केे माध्यम से क्रय किया जा रहा है, जिससे 1000 से अधिक अनुसूचित जनजाति समुदाय के परिवारों को लाभ मिल रहा है। वर्ष 2014-15 में, अप्रैल 2014 से दिसम्बर 2014 तक 17,101 किलोग्राम टिन अयस्क का क्रय स्थानीय अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की सहकारी समितियोेें के माध्यम से किया गया है। जिससे 1,04,74,465 रूपये प्राप्त राशि को 1944 संग्राहकों को भुगतान किया गया।
बाॅक्साइट परियोजना के अन्तर्गत - आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में स्थित खान से वर्तमान में उत्खनन कार्य से लगभग 300 स्थानीय आदिवासियों को प्रत्यक्ष एवं 1000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है। इसके अलावा खनिज विभाग द्वारा गौण खनिजों से प्राप्त राजस्व ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, नगरीय निकायों को क्षतिपूरक के रूप में आबंटित किया जाता है। 1 जनवरी 2013 से दिसम्बर 2013 की समयावधि में 157.07 करोड़ रूपये आबंटित किया गया है।
निष्कर्ष -
उपरोक्त तालिका क्रमांक 01 एवं 02 से स्पष्ट है खनिजों से प्राप्त होने वाले राजस्व में केवल मुख्य खनिजों का भाग है जबकि छत्तीसगढ़ राज्य में 28 प्रकार के खनिजों का भंडार हंै, जिसमें 20 प्रकार के मुख्य खनिजों का उत्पादन किया जा रहा है, टिन अयस्क के संग्रहक अनुसूचित जनजाति समुदाय के 1000 परिवारों को लाभ मिला हुआ है। इन समितियों को अप्रैल 2014 से दिसम्बर 2014 तक 1,04,74,465 रूपये का टिन अयस्क विक्रय किया गया। प्राप्त राशि को 1944 टिन संग्रहकों को भुगतान किया गया। बाॅक्साइट उत्खनन से 300 स्थानीय आदिवासियों को प्रत्यक्ष रूप से और लगभग 1000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है। गौण खनिजों से प्राप्त 157.07 करोड़ रूपये ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत को जनकल्याणार्थ आबंटित किये गए हैं। इन सभी खनिजों का विस्तृत अध्ययन किया जाये तो यह और भी सुस्पष्ट हो जायेगा कि खनिज संसाधनों के उत्खनन, संग्रहण और उपयोग पर आधारित उद्योग लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सक्षम है। यह भी स्पष्ट हो कि खनिज संसाधन वन क्षेत्रों में उपलब्ध है अतः जरूरत इस बात की हैं कि खनिजों का समुचित विदोहन के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाये वैज्ञानिक तकनीकांे के माध्यम से उत्खनन किया जाये तो यह क्षेत्र रोजगार उपलब्ध कराने एवं बेरोजगारी को दूर करने में सहायक हो सकता है।
संदर्भ ग्रंथ सूची
(1) शुक्ला, पूर्णिमा, ‘‘छत्तीसगढ़ में खनिज संसाधन विकास एवं नियोजन - एक भौगोलिक अध्ययन,’’ अप्रकाशित शोध प्रबंध, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़, वर्ष 2005, पृ. 41
(2) ठाकुर, तुला राम, ‘‘छत्तीसगढ़ में खनिज पदार्थों की उत्पादन की प्रवृत्तियाँ - एक आर्थिक अध्ययन’’, अप्रकाशित लघु शोध प्रबंध, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़, वर्ष 2012, पृ. 99,100
(3) संचालनालय भौमिकी एवं खनिकर्म, छत्तीसगढ़ शासन रायपुर द्वारा प्रकाशित प्रतिवेदन
(4) कोली, हरिनारायण, ‘‘पर्यावरण एवं मानव भूगोल,’’ पोईन्टर पब्लिशर्स जयपुर (राजस्थान), वर्ष 1996, संस्करण - प्रथम, पृ. 9
(5) खनिज साधन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन, विभागीय प्रशासकीय प्रतिवेदन, वर्ष 2013-14, पृ. 16
(6) खनिज साधन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन, विभागीय प्रशासकीय प्रतिवेदन, वर्ष 2014-15, पृ. 35,37
(7) छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण, वर्ष 2013-14, पृ. 98
(8) खनिज साधन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन, ‘‘एक वर्ष की उपलब्धियाॅं,‘‘ वर्ष 2014, पृ. 01
Received on 11.03.2016 Modified on 06.05.2016
Accepted on 20.07.2016 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Ad. Social Sciences 4(3): July- Sept., 2016; Page 143-148